नई दिल्ली. दुनिया में ईसाई देशों की संख्या 10 साल के अंतराल में ही 124 से 120 पर आ गई है। फ्रांस, ब्रिटेन, उरुग्वे और ऑस्ट्रेलिया अब ईसाई बहुल देश नहीं रहे हैं। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि इन देशों में बड़ी आबादी ने अपने जन्म से प्राप्त ईसाई धर्म को छोड़ दिया है और खुद को नास्तिक मानने लगे हैं। इन लोगों ने खुद को किसी भी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं बताया है। ऐसे में ईसाई आबादी की संख्या इन देशों में 50 फीसदी से कम हो गई है। इससे पहले ही कई ऐसे देश हैं, जहां नास्तिकों या फिर किसी भी मजहब को ना मानने वाले लोगों की आबादी बहुसंख्यक है। इन देशों में दुनिया में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश चीन भी शामिल है।
इस तरह नए 4 देशों को मिलाकर दुनिया के कुल 13 बड़े देश हैं, जहां अब किसी धर्म को मानने वालों की बजाय नास्तिकों की आबादी सबसे अधिक है। इन देशों में चीन पहले नंबर पर है, जहां 90 फीसदी लोग किसी धर्म को नहीं मानते हैं। शेष 10 फीसदी लोग बौद्ध और इस्लाम धर्म को मानने वाले हैं। हालांकि इन पर भी काफी पाबंदियां हैं। उत्तर कोरिया में 73 फीसदी आबादी किसी धर्म में आस्था नहीं रखती। इसी तरह चेक रिपब्लिक में भी 73 और हॉन्गकॉन्ग में 71 फीसदी लोग किसी मत के अनुयायी नहीं हैं।
वियतनाम में नास्तिकों की आबादी 68 फीसदी है। मकाओ में यह आंकड़ा 68 पर्सेंट है और जापान में 57 पर्सेंट लोग किसी धर्म को नहीं मानते। इसके अलावा नीदरलैंड में यह आंकड़ा 54 और न्यूजीलैंड में 51 फीसदी का है। अब चार नए देश इस लीग में जुड़ गए हैं, जिनमें फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, उरुग्वे और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं। इस तरह दुनिया की लगभग दो अरब आबादी अब ऐसी है, जो किसी भी धर्म को नहीं मानती। एक से दो दशकों में ऐसे देशों की संख्या में और बढ़ोतरी हो सकती है, जहां बहुसंख्यक आबादी किसी भी मजहब को नहीं मानती।