रायपुर । छत्तीसगढ़ के बिजली ढांचे को और अधिक मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (CSPTCL) ने प्रदेश के पांचवें 400 केवी ग्रिड उपकेंद्र को मुंगेली जिले के धरदेही में सफलतापूर्वक ऊर्जीकृत कर दिया है। इस उपकेंद्र की स्थापना और इससे जुड़ी ट्रांसमिशन लाइनों पर कुल 176 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
सीएम साय और वरिष्ठ अधिकारियों ने दी बधाई
इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, प्रमुख सचिव एवं ट्रांसमिशन कंपनी अध्यक्ष सुबोध कुमार सिंह और ऊर्जा सचिव डॉ. रोहित यादव ने ट्रांसमिशन कंपनी को बधाई दी है। कंपनी के प्रबंध निदेशक राजेश कुमार शुक्ला ने खुद उपकेंद्र को ऊर्जीकृत किया और इसे राज्य के ऊर्जा क्षेत्र में “ऐतिहासिक मील का पत्थर” बताया।
हाई-टेक और ऑटोमैटेड सिस्टम से लैस
धरदेही ग्रिड उपकेंद्र स्वचालित संचालन प्रणाली से लैस है। इसमें 400/220 केवी के 2×315 एमवीए ट्रांसफॉर्मर, 220/132 केवी के 2×160 एमवीए ट्रांसफॉर्मर और 2×50 एमवीएआर के वोल्टेज कंट्रोल रिएक्टर्स शामिल हैं।
इन जिलों को मिलेगा सीधा लाभ
इस उपकेंद्र के चालू होने से बिलासपुर, भाटापारा, मुंगेली, कोरबा, जांजगीर-चांपा, अंबिकापुर और बलौदा बाजार जैसे ज़िलों में बेहतर और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी। इससे औद्योगिक, कृषि और घरेलू उपभोक्ताओं को भी सीधा फायदा मिलेगा।
भविष्य की जरूरतों के लिए अहम कड़ी
यह उपकेंद्र छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी की 2×660 मेगावाट सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर परियोजना से जुड़कर उसके उत्पादन को पूरे राज्य में ट्रांसमिट करने में मदद करेगा। साथ ही, बिलासपुर स्थित 765 केवी पावर ग्रिड से इसकी सीधी कनेक्टिविटी भी सुनिश्चित की गई है। इससे इम्पोर्ट एटीसी क्षमता (आयात करने की सीमा) में भी बड़ा इजाफा होगा।
परियोजना में प्रमुख कंपनियों की भागीदारी
इस ग्रिड उपकेंद्र का निर्माण टेक्नो इलेक्ट्रिक कंपनी लिमिटेड, कोलकाता के माध्यम से किया गया है, जबकि ट्रांसमिशन लाइनों का काम एल एंड टी कंपनी द्वारा किया जा रहा है।
ऊर्जाकरण के मौके पर अधिकारीगण रहे मौजूद
इस मौके पर सीएसपीटीसीएल और सीएसपीडीसीएल के कई वरिष्ठ अधिकारी जैसे के.एस. मनोठिया, ज्योति नन्नौरे, वी. के. दीक्षित, कल्पना घाटे, और संजय तिवारी, अब्राहम वर्गीज, सहित अन्य तकनीकी अधिकारी और अभियंता उपस्थित रहे।
यह परियोजना न केवल छत्तीसगढ़ की बिजली जरूरतों को पूरा करने में कारगर होगी, बल्कि राज्य को ‘ऊर्जा आत्मनिर्भरता’ की ओर मजबूती से अग्रसर करेगी।