सनातन धर्म में रुद्राक्ष को अत्यंत पवित्र माना जाता है। रुद्राक्ष को भगवान शिव का ही एक स्वरूप कहा गया है। आइए जानें कौन सा रुद्राक्ष सबसे उत्तम है और इसे धारण करने से क्या होता है। रुद्राक्ष भगवान शिव को बहुत प्रिय है, ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष का दर्शन, स्पर्श और जप करता है, वो समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। रुद्राक्ष के प्रकार को एक मुखी, दो मुखी में भेद करके बताया जाता है। लेकिन यहां हम आकार के बारे में बात करेंगे, कि छोटा या बड़ा किस प्रकार का रुद्राक्ष अच्छा होता है। इस बारे में शिवमहापुराण में भगवान शिव ने खुद माता पार्वती को बताया है:

कैसे उत्पन्न हुए रुद्राक्ष
भगवान बताते हैं, मैंने कई सालों तक तपस्या की, हजारों सालों तक जब मेरा मन एक दिन दुखी हो गया और मैं सोचने लगा कि मैं तीनों लोगों का उपकार करने वाला परमेश्वर हूं, तो मेरे नेत्र खुल गए, नेत्र खुलते ही मेरे नेत्रों से जल की झड़ी लग गई। वो मथुरा, अयोध्या, काशी, लंका, मलयाचल पर्वत, में गिरी और उन जगहों पर रुद्राक्ष के पेड़ उत्पन्न हो गए। इसलिए कहा जाता है कि इसकी माला से जाप करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
कैसा रुद्राक्ष है शुभ
शिवमहापुराण में लिखा है कि आंवले के फल के बराबर रुद्राक्ष सबसे अच्छा माना जाता है। बेर के फल के बराबर रुद्राक्ष मध्यम और चने के आकार का रुद्राक्ष निम्न माना जाता है। बेर के बराबर जो रुद्राक्ष होता है, वो छोटा हेने के बाद भी उत्तम फल देता है। आंवेल के बराबर वाला रुद्राक्ष सभी मनोकामनाओं को पूरा करता है। समान आकार वाले रुद्राक्ष, गोल, मजबूत, मोटे, कांटेदार सब मनोरथ को सिद्ध करने वाले हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कीड़े द्वारा खाया हुआ, टूटा हुआ और जो पूरा गोल ना हो, ऐसा रुद्राक्ष नहीं पहननना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखें कि जिसमें डोरी के लिए छेद हो और वह प्राकृतिक हो वो अच्छा है।