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सावन में कैसे करें पार्थिव शिवलिंग की पूजा, जानिए किसने की थी सबसे पहले पूजा

सावन का पावन महीना शुरू हो गया है। सावन महीना शुरु होते ही शिवलायों में भक्तों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। हर मंदिर में इस समय हर हर महादेव के जयकारे गूंज रहे हैं। जैसा कि आप जानते है कि, सनातन परंपरा में भगवान शिव की पूजा कई प्रकार से की जाती है। कोई उनकी मूर्ति की पूजा करता है, तो कोई शिवलिंग की पूजा करता है, तो कोई पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करता है।

ज्योतिषयों के अनुसार, जिस प्रकार से गंगा सभी नदियों में श्रेष्ठ है, उसी प्रकार से पार्थिव लिंग सभी लिंगों में सर्वश्रेष्ठ है। मान्यता है कि इसके प्रभाव से घर में खुशहाली आती है साथ ही धन, सुख, समृद्धि का आगमन होता है।

सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा के कुछ नियम हैं, इनका पालन न करने वाले पुण्य की जगह पाप के भागी बनते हैं। आइए जानते हैं सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा से जुड़े नियम के बारे में-

किसने की सबसे पहला पार्थिव शिवलिंग पूजा

शिवपुराण के अनुसार, पार्थिव शिवलिंग की पूजा सबसे पहले कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने किया था। ये भी माना जाता है कि भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले रावण पर विजय प्राप्ति के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा की थी।

क्या है पार्थिव शिवलिंग बनाने के नियम

  • पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए पवित्र स्थान से साफ मिट्टी ले आएं।
  • आप इसके लिए किसी बगीचे की मिट्टी का भी प्रयोग कर सकते हैं।
  • इसके अलावा आप मिट्टी का शिवलिंग बनाने के लिए लाल मिट्टी, पीली मिट्टी या काली मिट्टी का उपयोग भी कर सकते हैं।
  • शिवलिंग बनाने से पहले मिट्टी को गंगाजल से शुद्ध जरूर करें और फिर पार्थिव शिवलिंग बनाएं।
  • पिंड निर्माण से पहले मिट्‌टी को अच्छे पानी से धो लें।
  • मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़ , मक्खन और भस्म मिलाकर पार्थिव शिवलिंग बनाएं।
  • इसके निर्णाण में इस बात का ध्यान रखें कि ये 12 अंगुल यानी अंगूठे से ऊंचा नहीं होना चाहिए।
  • इस मिट्टी का पिंड बनाते समय कई लोग उसमें घी भी मिलाते हैं, जो शुभ माना गया है।
  • शिवलिंग बनाते समय ‘ऊँ नमो हराय’ मंत्र का जाप करें।
  • ध्यान रहे कि पार्थिव शिवलिंग पर चढ़ाया भोग ग्रहण नहीं किया जाता है।
  • ये भोग शिव के गणों का होता है। इसे आप गाय को खिला सकते हैं।

ऐसे करें पार्थिव शिवलिंग पूजा

  • सावन में पार्थिव शिवलिंग पूजा के लिए प्रदोष काल का समय शुभ होता है।
  • पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर शिवलिंग बनाना चाहिए।
  • शिवलिंग बनाने के बाद गणेश जी, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती आदि का आह्वान करना चाहिए।
  • ऊं नम: शिवाय मंत्र जाप करते हुए शिवलिंग पर जल और पंचृामत अर्पित करें।
  • गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं। शिव चालीसा का पाठ करें।
  • आरती और पुष्पांजलि के बाद भगवान से उनके स्थान पर जाने का निवेदन करना चाहिए।
  • इस प्रकार पूजा के बाद शिवलिंग का आदरपूर्वक जल में विसर्जित कर देना चाहिए।

पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व

हिन्दू धर्म में पार्थिव शिवलिंग सभी लिंगों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। माता पार्वती ने भी मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की थी। कहते हैं, इस शिवलिंग की पूजा से महादेव जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं।

ऐसी मान्यता है कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और यह आपके जीवन को सफल, सुखी, और समृद्ध बनाता है।

इस शिवलिंग की पूजा से न केवल मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, बल्कि सपरिवार पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधि-विधान से पूजा करने पर पूरा परिवार सुखी रहता है। किसी रोग से पीड़ित व्यक्ति यदि पार्थिव शिवलिंग के समक्ष महामृत्युंजय मंत्र का जाप करता है, तो वह रोग मुक्त हो जाता है।

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