भागदौड़ भरी जिंदगी में हर किसी दिनचर्या अनियमित हो गई है तो वहीं पर अनुचित खानपान ले रहे है। इस वजह से सेहत पर बुरे प्रभाव देखने के लिए मिलते है। गर्भावस्था या प्रेग्नेंसी के समय प्रेग्नेंट महिलाओं को ज्यादा सेहत का ख्याल रखना पड़ता है क्योंकि इसका अच्छा या बुरा असर बच्चे की सेहत पर भी पड़ता है। अक्सर हम किसी बीमारी के इलाज के लिए पैरासिटामोल का इस्तेमाल कर लेते है। जिससे समस्या पर आराम तो मिलता है लेकिन इसके साइड इफेक्ट भी मिलते है।
हाल ही में एक स्टडी सामने आई है जिसमें गर्भवती महिलाओं के पेरासिटामोल के ज्यादा सेवन को नुकसानदायक बताया है।
जानिए क्या कहती है नई स्टडी
यहां पर नई स्टडी की बात की जाए तो, प्रेंग्नेंट महिलाओं के लिओए पेरासिटामोल के सेवन को लेकर चिंता जताई है। एक नए अध्ययन का दावा है कि इससे शिशुओं में ऑटिज्म और एडीएचडी जैसे तंत्रिका-विकास संबंधी विकार (एनडीडी) हो सकते हैं। मैसाचुसेट्स और हार्वर्ड विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने 46 अध्ययनों का विश्लेषण किया, जिनमें 1 लाख से अधिक लोगों के डेटा शामिल थे। इनमें से 27 अध्ययनों ने एनडीडी से महत्वपूर्ण संबंध बताए। इस स्टडी को लेकर हार्वर्ड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की लेखिका एंड्रिया ए. बैकरेली ने कहा, “अधिकांश अध्ययनों में प्रसवपूर्व एसिटामिनोफेन के उपयोग और संतानों में एडीएचडी, एएसडी या एनडीडी के बीच सकारात्मक संबंध पाए गए हैं।”
एसिटामिनोफेन का सेवन भी होता है नुकसान दायक
यहां पर अन्य स्टडी के अनुसार, गर्भवती महिलाएं अगर 22 से 28 दिनों तक एसिटामिनोफेन का उपयोग करते है तो इसका नुकसान उठाना पड़ता है। फरवरी में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन ने भी सुझाव दिया कि एसिटामिनोफेन के संपर्क में आने से एडीएचडी की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा अध्ययन में कहा गया है कि एसिटामिनोफेन अन्य दवाओं की तुलना में अपनी अपेक्षाकृत अनुकूल सुरक्षा प्रोफाइल के कारण पसंदीदा दर्द निवारक बना हुआ है, फिर भी इसका उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए, विशेष रूप से प्रसवकालीन अवधि के दौरान भ्रूण के विकास पर इसके संभावित प्रभावों को देखते हुए।
साथ ही सुझाव दिया गया है कि, गर्भवती महिलाओं को एसिटामिनोफेन दवाई का सेवन सीमित कर देना चाहिए।साथ ही उन्होंने यह भी जोर दिया कि इस विषय पर और अधिक गहन शोध किए जाने की आवश्यकता है ताकि स्पष्ट रूप से समझा जा सकें।