नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं का गुस्सा चरम सीमा पर है। सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन अब तख्तापलट का इतिहास लिख चुका है। देश में संघीय सरकार आने से जेन-जी को स्थिरता, नौकरी और रोजगार बढ़ने की उम्मीद थी। लेकिन, भ्रष्टाचार, महंगई, बेरोजगारी ने निराश किया। नेपोटिज्म और चहेतों को सत्ता में जगह मिलने से नेताओं के बच्चों को विदेशी यात्राएं, ब्रांडेड सामान, शानौशौकत की पार्टियां सोशल मीडिया पर चर्चित होने लगीं।
नेपाल में पीछले 5 साल में तीन सरकारे बदल चुकी हैं। जुलाई 2021 में शेर बहादुर देउबा प्रधानमंत्री थे। दिसबंर 2022 में चुनाव से पुष्कमल दहल प्रचंड पीएम बने। जुलाई 2024 से अब तक केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री रहे। देश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण बेरोजगारी व महंगाई लगातार बढ़ रही है। देश में आर्थिक असमानता है। 20 प्रतिशत लोगों के पास 56 प्रतिशत संपत्ति है।
1990 की नीतियों ने नेपाल को और पीछे धकेल दिया
साल 1990 के बाद की अहस्तक्षेप नीतियों ने नेपाल को लगभग एक फेल स्टेट की ओर धकेल दिया। प्राइवेटाइजेशन को प्राथमिकता दी गई, जिसका नतीजा ये रहा कि कई सरकारी उद्योग का ऑनरशिप सार्वजनिक क्षेत्र से निजी क्षेत्र में ट्रांसफर हो गया। हालांकि प्राइवेट सेक्टर डेवलपमेंट में किसी भी तरह का योगदान देने में पूरी तरह से विफल रहा। क्योंकि इसमें कई निवेश जोखिम, विशेष रूप से राजनीतिक अस्थिरता, मौजूद हैं। इसके अलावा, आर्थिक सुधार, संपन्न और वंचित के बीच की पहले से चली आ रही खाई को और बढ़ा दिया। नेपाल में असमानता की प्रवृत्ति भी इसी दिशा में बढ़ रही है। धन सिर्फ अमीरों के पास केंद्रित है।
2010-11 तक 14 गुना बढ़ा गरीब-अमीरी का आंकड़ा
नेपाल में सिर्फ 20 प्रतिशत लोगों के पास 56 प्रतिशत संपत्ति है, जबकि शेष 80 प्रतिशत लोगों के पास 44 प्रतिशत प्रॉपर्टी है। 1995-96 में, अमीर 20 प्रतिशत लोगों की संपत्ति निचले 20 प्रतिशत लोगों की संपत्ति से 10 गुना अधिक थी, जबकि 2010-11 तक यह अंतर 14 गुना तक पहुंच गया है। इसका अर्थ है कि ऊपरी 20 प्रतिशत लोगों की संपत्ति निचले 20 प्रतिशत लोगों की संपत्ति से 14 गुना अधिक है।
20% लोगों की संपत्ति में तेजी से ग्रोथ
नेपाल लिविंग स्टैंडर्ड सर्वेक्षण 2010-11 के अनुसार, पिछले 15 वर्षों में ऊपरी 20 प्रतिशत लोगों की संपत्ति में वृद्धि की दर निचले 20 प्रतिशत लोगों की संपत्ति में वृद्धि से कहीं अधिक रही है। इस अवधि के दौरान, सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों की वार्षिक आय वृद्धि 512 प्रतिशत रही, जबकि सबसे निचले 10 प्रतिशत लोगों की वार्षिक आय वृद्धि दर 375 प्रतिशत रही। इस प्रकार, आर्थिक सुधार अमीर और गरीब के बीच की खाई को और चौड़ा कर रहे हैं।