गुरचरण सिंह होरा लंबे समय से अपने अवैध कारो बार को फैला रहे थे अपना साम्राज्य बनाने की पूरी कोशिश थी जहां पूर्व में आरडीए की जमीन पर कब्जा किया हुआ था जिसे आरडीए ने बलपूर्वक छुड़ा लिया वही यह केबल व्यवसाईयों के केबल तो हड़पते ही है कई केस इन पर दर्ज किए गए और इन्हें पूर्व में कांग्रेस सरकार का संरक्षण मिला तत्कालीन डीजीपी अनिल टुटेजा इनके जिगरी दोस्त रहे जिसके चलते कई केस दर्ज नहीं किए गए ये लोगों पर फर्जी FIR करते रहे इनका घमंड इतना बड़ा की इन्होने तत्कालीन मुख्यमंत्री को ही कह डाला कि मेरी बदौलत सरकार चल रही है इसके बाद इन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ा यह विष्णु देव शासन के आगे पीछे चक्कर लगाते रहे कि कहीं इनकी जगह मिल जाए मगर सुशासन की सरकार में भ्रष्टाचार्यों की कोई जगह नहीं है इन्हें बीजेपी में घुसने नहीं मिला मगर यह आदतन भू माफिया है और इन्होंने एक बार फिर एक मृत महिला को जिंदा बात कर उनके नाम से जमीन हड़प ली जमीन मालिक जब वहां पहुंचे तो उन्हें अपने रुतबे का धोस दिखाने लगे मगर कहते हैं कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं और जो असली मालिक है उन्हें अदालत से न्याय मिला और गुरचरण सिंह होरा समेत सात आरोपियों के खिलाफ 420, 467.468 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया अब सातों आरोपियो की पुलिस तलाश कर रही है गुरचरण सिंह होरा पर पहले ही देवेंद्र नगर में एक मामला दर्ज है जिस पर वह अग्रिम जमानत पर बाहर है