रायपुर। प्रदेश में कई जगहों पर भू उपयोगिता में बदलाव नहीं होने की वजह से सरकारी परियोजनाओं के अटकने का मामला शुक्रवार को विधानसभा में उठा। इस पर आवास पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने आश्वस्त किया कि सरकारी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए जहां भी भू उपयोगिता में बदलाव की जरूरत होगी, उसे प्राथमिकता से पूरा किया जाएगा।
प्रश्नकाल में भाजपा सदस्य आशाराम नेताम के कांकेर जिले के मास्टर प्लान के मसले पर पूछे गए सवाल के जवाब में श्री चौधरी ने बताया कि कांकेर जिले में दो मास्टर प्लान बनी है। कांकेर विकास योजना 2031 (मास्टर प्लान), और भानुप्रतापपुर विकास योजना (मास्टर प्लान) शामिल है।
दुर्ग शहर विधायक गजेन्द्र यादव ने कहा कि उनके क्षेत्र में 12 परियोजनाएं ऐसी है जहां भू उपयोगिता में बदलाव नहीं हो पाने के कारण काम शुरू नहीं हो पा रहे हैं। इस पर आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि पिछले पांच सालों में मास्टर प्लान पर कृत्यों की जानकारी मिलती रही है। उन्होंने कहा कि जो भी सरकारी परियोजनाएं भू उपयोगिता में बदलाव न होने के कारण अटकी पड़ी है, उसे सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए पूरा किया जाएगा।
भाजपा सदस्य धर्मजीत सिंह ने कहा कि नगरीय क्षेत्रों में छोटे झाड़, बड़े झाड़ के जंगल मास्टर प्लान में अंकित हो गए हैं। जबकि वहां घास तक नहीं है। इस वजह से नगरीय क्षेत्र में 120 केवी के सबस्टेशन तक नहीं बन पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि न सिर्फ उनके इलाके में बल्कि पूरे प्रदेश में कई जगह यह समस्या है।
आवास पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने स्वीकार किया कि वन अधिनियम 1980 जब बना था तब हरियाणा-पंजाब जैसे क्षेत्र में जंगल को कैसे बचाया जाए, यह मंशा रही होगी। फिर भी एक हेक्टेयर तक वन क्षेत्र में भू उपयोगिता परिवर्तन के अधिकार जिले की समिति को दिए गए हैं। पांच हेक्टेयर तक जमीन की भू उपयोगिता राज्य स्तरीय समिति, और उससे अधिक की भोपाल स्थित केन्द्र सरकार की समिति को अधिकार है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य जहां 44 फीसदी वन क्षेत्र हैं यहां और प्रयास करने की जरूरत है।