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भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए कशमकश की स्थिति

भोपाल। प्रदेश भाजपा में नए प्रदेशाध्यक्ष को लेकर कशमकश की स्थिति बनी हुई है। पार्टी के वरिष्ठ से लेकर कनिष्ठ नेता कयासों में जुटे हुए हैं। हालांकि संगठन स्तर पर नए प्रदेशाध्यक्ष को लेकर चिंतन-मंथन बदस्तूर जारी है। यह बात अलग है कि अंतिम मोहर केन्द्रीय नेतृत्व की ही लगेगी। लेकिन रस्म अदायगी के चलते प्रदेश संगठन से फीड बैक तो लिया ही जाएगा। हालांकि मप्र विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत फिर लोकसभा में क्लीन स्वीप कर वीडी शर्मा के नेतृत्व में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया, जिसके बाद माना जा रहा था कि उन्हें पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में कैबिनेट में जगह मिल सकती है। लेकिन जातिगत समीकरण के कारण वीडी शर्मा पिछड़ गए। जेपी नड्डा के केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद नए भाजपा अध्यक्ष को लेकर कवायद तेज हो गई है।
राजनीतिक हलकों में प्रदेशाध्यक्ष के नाम को लेकर चर्चा चरम पर है। चूंकि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का कार्यकाल दो बार बढ़ाया जा चुका है। सदस्यता अभियान के बाद तत्काल नए प्रदेशाध्यक्ष के नाम पर फैसला होना है। सूत्रों की माने तो मंथन के बाद जो नाम उभर कर सामने आए हैं, उनमें हेमंत खंडेलवाल, मुकेश चौधरी, कविता पाटीदार, सुमेर सिंह सोलंकी के अलावा भगवान दास सबनानी प्रमुख है। हेमंत खंडेलवाल बैतूल जिले से वर्तमान विधायक हैं एवं बैतूल की सामान्य सीट से सांसद भी रह चुके हंै। इसके अलावा खंडेलवाल भाजपा के कोषाध्यक्ष का दायित्व भी संभाल चुके हैं एवं वैश्य समाज से आते हंै। मुकेश चौधरी की यदि बात की जाए तो वे पूर्व विधायक रहे हैं एवं वर्तमान में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। यदि ब्राह्मण वर्ग को पार्टी तरजीह देती है तो चौधरी के नाम पर चर्चा हो सकती है, क्योंकि चौधरी का टिकट भिंड जिले की मैहगांव सीट से काट दिया गया था। तब चौधरी ने बगावती तेवर नहीं दिखाए। उन्हें वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का वरदहस्त मिला हुआ है।
यदि महिला दावेदार की बात की जाए तो कविता पाटीदार का नाम सबसे ऊपर आता दिख रहा है। पाटीदार वर्तमान में राज्य सभा सदस्य हैं एवं पार्टी के बड़े कार्यक्रमों में मंच संचालन का दायित्व भी उन्हें समय-समय पर सौंपा जाता रहा है। जिसमें सबसे अहम जम्बूरी मैदान में में हुई प्रधानमंत्री मोदी की सभा का संचालन भी पाटीदार ने ही किया था। पाटीदार ओबीसी वर्ग से आती हंै। तीसरे दावेदार की बात की जाए तो वे भी राज्यसभा सदस्य हैं। यदि आदिवासी कार्ड पार्टी खेलती है तो सुमेर सिंह सोलंकी अहम दावेदार हैं। वहीं चौथें दावेदार भगवान दास सबनानी की संगठन में पकड़ मजबूत है। वर्तमान में दक्षिण-पश्चिम विधानसभा से विधायक हंै। लेकिन इनका एक माइनस पाइंट भी नजर आ रहा है कि उन्होंने 2008 में उमा भारती के साथ भाजपा का दामन थाम लिया था। बहरहाल, सभी उम्मीदवारों की दावेदारी अपनी-अपनी जगह मजबूत दिखाई दे रही है। अब यह बात अलग है कि भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व किसके नाम पर मोहर लगाएगा।
भाजपा ने मप्र में जातिगत समीकरण का पूरा ध्यान रखा है। ओबीसी वर्ग से सीएम बनाया तो उप मुख्यमंत्री एससी और सामान्य वर्ग का दिया। मप्र की कैबिनेट में आदिवासी नेताओं को तवज्जो दी गई। जिसके बाद अब माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष एक बार फिर से सामान्य वर्ग का हो सकता है। यदि संगठन स्तर पर ऐसा तय होता है तो बैतूल विधायक जो कि वैश्य समाज से आते है संगठन उन पर दांव लगा सकता है। यदि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को केंद्र में जगह नहीं मिली तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी कि उन्हें पुन: मप्रमें ही प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौप दी जाए।
वीडी शर्मा का कार्यकाल पूरा हो चुका है। वीडी शर्मा 5 सालों से प्रदेश अध्यक्ष हैं। मप्र विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन और फिर उसके बाद लोकसभा चुनाव में 100 फीसदी रिजल्ट देने के बाद संगठन में उनका कद बढ़ गया है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि संगठन यदि वीडी शर्मा को प्रदेशाध्यक्ष पद से रूखसत करता है तो उन्हें भाजपा का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है। सूत्रों की माने तो केन्द्रीय नेतृत्व भी वीडी शर्मा के नाम पर मंथन कर रहा है। शर्मा के नाम पर संघ एवं भाजपा आलाकमान भी लगभग तैयार है।

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