BREAKING

छत्तीसगढराज्य

शहर सीरत-उन-नबी कमेटी की अहम बैठक हुई सम्पन्न कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई हुई चर्चा, जुलूस के वक्त को लेकर सभी पद अधिकारियों के सामने रखे सुझाव

रायपुर। शहर सीरतुन्नबी कमेटी की शास्त्रीबाजार स्थित अंजुमन स्कूल में 27 जुलाई को एक कमेटी के सदर सोहेल सेठी के नेतृत्व में आवश्यक बैठक रखी गई थी जिसमें शहर भर के कमेटी के लोगों ने बैठक में शिरकत की। कमेटी ने ईद मिलादुन्नबी पर निकलने वाले जुलूस को लेकर व्यापक चर्चा की और इस जुलूस को निकालने की रूप रेखा तय की। कमेटी के लोगों ने भी अपने विचार रखें। शहर सीरतुन्नबी कमेटी के अध्यक्ष सोहेल सेठी ने बैठक को कोई प्रोग्राम नहीं हमारी टीम की मीटिंग है।
शहर की*सीरत-उन-नबी कमेटी ने 12 जुलाई को जब 400 ओहदेदारों की नियुक्तियाँ की थीं, तभी से यह साफ़ हो गया था कि कमेटी अब सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि एक तहरीक बनने जा रही है। इस नये दौर की रहनुमाई कर रहे हैं *जनाब सोहेल सेठी साहब, जो बतौर सदर (अध्यक्ष)* दिन-रात तन्-मन्-धन से इस मिशन को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। उनके सरपरस्ती में कमेटी ने संगठनात्मक मजबूती, पारदर्शिता और पूरी कौम को साथ लेकर चलने की दिशा में एक ठोस क़दम बढ़ाया है। “ये कोई प्रोग्राम नहीं, हमारी टीम की मीटिंग है” – सदर सोहेल सेठी
आज आयोजित इस विशेष बैठक में जनाब सोहेल सेठी साहब ने अपने तआरुफ़ी बयान में कहा: “ये कोई मज़बूत मंच का जलसा नहीं, बल्कि हमारी सीरत कमेटी का एक आंतरिक इजलास है। हम सब एक ही कारवां के मुसाफ़िर हैं। आज कोई मेहमान नहीं है, हम सब मेज़बान हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि अब तक जो नक़्शा (रूपरेखा) तैयार किया गया है, वह सबके सामने पेश किया जाएगा ताकि हर शख़्स उसकी समझ बना सके और बेहतर राय या मशवरा दे सके।
कमेटी की पेशकशें और अहम इदारों पर ग़ौर बैठक में सीरत से जुड़े विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर अमल की बात हुई —

  • बच्चों के लिए तालीमी और दीनी प्रोग्राम
  • तकरीर तथा मुशायरा
  • मस्तूरात (औरतों) के लिए ख़ास कार्यक्रम
  • कनिज़-ए-फ़ातिमा तहरीक (हिजाब वितरण)
  • दीनी क्विज, किताब व क़लम वितरण
  • उमरा पर भेजना
  • माली (फाइनेंशियल) पारदर्शिता
    हर सेक्टर के लिए अलग-अलग ज़िम्मेदारान काम में लगे हुए हैं, और सदर जनाब सोहेल सेठी साहब खुद हर फ़ील्ड की निगरानी कर रहे हैं।
    “मंच इसलिए ख़ाली है… क्योंकि ये हर क़ाबिल नौजवान के लिए है” – सोहेल सेठी
    सदर साहब ने बैठक में कहा:
    “आज मंच पर कोई नहीं बैठा है, क्योंकि हम इस बात को मानते हैं कि इस कौम में कई ऐसे नौजवान हैं जिन्हें कभी मौका नहीं मिला। हम उन्हें इस मंच पर बुलाते हैं। अगर आप में सलाहियत है, तो ये मंच आपका है। हमारी पूरी टीम आपकी रहनुमाई करेगी।”
    एक अहम मुआमला – जुलूस का वक़्त
    बैठक में इस मसले पर गंभीर मबाहिसा (चर्चा) हुआ कि सीरत-उन-नबी का जुलूस सुबह के बजाय दोपहर में क्यों होना चाहिए।
    जनाब सोहेल सेठी साहब ने बताया कि:
  • लोग रातभर तैयारी में रहते हैं, और सुबह फज्र के बाद जलसे में शिरकत करना मुश्किल होता है
  • हज़ारों लोग सिर्फ सुबह होने की वजह से शामिल नहीं हो पाते
  • दूसरे मज़हब, समाज और सियासी जमातों की भागीदारी भी सीमित रह जाती है
  • दोपहर का वक़्त, बेहतर हिस्सेदारी और इज़्ज़तदार तन्ज़ीम का ज़रिया बन सकता है
    उन्होंने कहा कि तमाम दलीलों और दस्तावेज़ों को तैयार किया गया है, जिसे सबके सामने पेश किया जाएगा — ताकि किसी को कोई ग़लतफ़हमी न रहे।

“सवाल नहीं, सलाह और साथ चाहिए” – सदर की दरख़्वास्त
इजलास के आख़िर में सदर जनाब सोहेल सेठी साहब ने बड़े दिल से कहा:
“लोग अक्सर सवाल कर के चले जाते हैं… लेकिन मुझे ऐसे लोग पसंद हैं जो सलाह दें और उसे अंजाम तक पहुंचाने में साथ निभाएं। मैं हर मुमकिन कोशिश कर रहा हूँ और करता रहूंगा — लेकिन मेरी ताक़त आप सबका साथ है।”
इस दौरान कमेटी के बुज़ुर्गों, वरिष्ठों और सम्मान समिति के अरकान (सदस्यों) को भी विशेष अहमियत दी गई और उनकी दुआओं व रहनुमाई से फ़ैसलों को मज़बूती दी गई।
शहर सीरत-उन-नबी कमेटी अब एक सरगर्म, संगठित और जिम्मेदार तन्ज़ीम के रूप में सामने आ रही है।
जनाब सोहेल सेठी साहब की सरपरस्ती और रहनुमाई में एक ऐसा माहौल बन रहा है जिसमें हर तबक़ा — ख़ासकर नौजवान — इज़्ज़त, मक़सद और जिम्मेदारी के साथ क़ौम की खिदमत कर सकेगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts