ऑपरेशन सिंदूर में हमने पड़ोसी दुश्मन देश को भारत के सैन्य बल की ताकत को बखूबी दिखाया है। भारत अब हथियारों और डिफेंस टेक्निक के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता को कम कर रहा है।
डिफेंस मिनिस्ट्री ने मेड इन इंडिया डिफेंस टेक्निक के डेवलपमेंट पर ज्यादा फोकस करने का काम किया है। पिछले 3 सालों में डीआरडीओ को टोटल 29,558 करोड़ रुपये से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स दिए हैं। आपको बता दें कि पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन हथियारों ने पाक में भयानक तबाही मचायी थी। साथ ही भारत के डिफेंस सेक्टर ने पाकिस्तान के हमलों को भी नाकामयाब करके दिखाया था। इसके अलावा, अब भारत ने डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर होने की प्रक्रिया को और भी ज्यादा तेज कर दिया है।
पिछले 3 सालों का डेटा
- 40 प्रोजेक्ट के लिए साल 2023 में 3842 करोड़ रुपये मिले थे।
- 43 प्रोजेक्ट के लिए साल 2024 में 22,175 करोड़ रुपये मिले थे।
- 20 प्रोजेक्ट के लिए साल 2025 से अब तक 3,540 करोड़ रुपये मिले थे।
भारत का डिफेंस सेक्टर इन पैसों से कई नई मिसाइल, ड्रोन और एडवांस इंजन बनाने का काम कर रहे हैं। भारतीय डिफेंस सेक्टर अह कावेरी डेरिवेटिव इंजन यानी केडीई बना रहा है, जो बिना पायलट वाले स्ट्राइक ड्रोन को ताकत दे सकता है। इसके लिए 2 प्रोजेक्ट जारी है, जिन पर लगभग 723 करोड़ रुपये खर्च होने वाले हैं।
डिफेंस टेक्निक तेजी से होगी विकसित
- डिफेंस टेक्निक को तेजी से विकसित करने के लिए भारत की कंपनियों को प्रोटोटाइप से डायरेक्ट प्रोडक्शन तक लाया जाएगा, जिसके कारण विदेशी खरीद कम हो सकती है।
- डीआरडीओ ने देश के आईआईटी और यूनिवर्सिटी में 15 नए रिसर्च सेंटर बनाए हैं, जहां पर डिफेंस टेक्निक पर सीधे तौर पर काम होगा।
- इसके साथ ही डीआरडीओ की पेटेंट टेक्निक कंपनियां फ्री में भी उपयोग कर सकती हैं।
- टेस्टिंग के लिए डीआरडीओ की लैब अब प्राइवेट कंपनियों के लिए खुल सकती हैं।
- टीडीएफ यानी टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड से कंपनियों को पैसे मिल सकते हैं ताकि वे नई टेक्नोलॉजी बना सकते हैं।
डिफेंस स्टेट मिनिस्टर संजय सेठ ने संसद में बयान दिया है कि ऐसा करने से आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। अब नए हथियार, ड्रोन, इंजन और मिसाइलें भारत में ही तैयार होंगे और लाखों युवाओं को इससे रोजगार के मौके भी मिलेंगे।