आयुर्वेद में कई गुणकारी औषधियां मिलती है जिनके सेवन के गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज होता है। आयुर्वेदिक दवाईयों का सेवन करने से किसी भी बीमारी की तकलीफ जड़ से साफ होती है। भारत समेत कई उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अक्सर खाली पड़ी जमीन पर एक छोटा सा पौधा मिलता है। इस पौधे को ‘छोटी दूधी’ कहते हैं। इस औषधि का सेवन करने से कई तरह के फायदे मिलते है।
सदियों से कारगर है यह औषधि
आपको बताते चलें कि, इस छोटी दूधी आयुर्वेदिक औषधि का सेवन कई वर्षों से किया जा रहा है। इस छोटी दूधी का वैज्ञानिक नाम ‘यूफॉर्बिया थाइमीफोलिया’ है। इसे अंग्रेजी में ‘थाईम लीव्ड स्पर्ज’ कहते हैं। यह ‘युफोरबिएसी’ परिवार से संबंधित है, जो जमीन पर फैला हुआ होता है। इसकी टहनियां पतली और लाल रंग की होती हैं। तो फूल बहुत छोटे और हरे-लाल रंग के होते हैं, जो पत्तियों के बगल में गुच्छों में लगे होते हैं। इस औषधि को लेकर अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन ने जानकारी दी है। इसके अनुसार, छोटी दूधी पेट से संबंधित समस्याओं जैसे दस्त,कब्ज और अपच जैसी दिक्कतों से राहत दिलाने में मददगार होती है, साथ ही यह शरीर की ऊर्जा बढ़ाती है और कमजोरी को भी दूर करने में सहायक है।
पेट के लिए सही होता है इसका सेवन
छोटी दूधी का सेवन करना पेट के लिए सही होता है। इसके पौधे के रस या पत्तों का काढ़ा पेट के कीड़ों को खत्म करने में मदद करता है। इसमें मौजूद कसैले गुण रक्तस्राव और घावों को ठीक करने के साथ ही दस्त या पसीने को भी नियंत्रित करने में उपयोगी हैं।
स्किन और बालों के लिए होता है अच्छा
छोटी दूधी का इस्तेमाल स्किन और बालों के लिए भी अच्छा होता है। दूधिया रस का उपयोग दाद, खुजली, कील-मुंहासे और अन्य त्वचा संक्रमणों को दूर करने के लिए किया जाता है। काले और घने बालों के शौकीन भी इसका लाभ उठा सकते हैं। इसके इस्तेमाल से बाल लंबे, घने, और काले होने के साथ ही शाइनी भी बनते हैं। बाल झड़ने की समस्या को भी यह दूर करने में सहायक है। छोटी दूधी से बना हेयर मास्क बालों को चमकदार बनाता है।
इसकी मदद से हेयर मास्क बना सकते है। छोटी दूधी से हेयर मास्क बनाने के लिए घास का दूध निकाल लें या इस घास को पीस कर पेस्ट बना लें। अब इसे बालों में लगाएं फिर 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें।छोटी दूधी के कई औषधीय गुण हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल किसी भी बीमारी के इलाज के लिए करने से पहले हमेशा किसी चिकित्सक या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।