बिलासपुर। अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल से फरार हुआ हत्या का दोषी कैदी मुकेश कांत बुधवार को अपनी जान देने की कोशिश कर बैठा। वजह पुलिस और जेल प्रशासन की गंभीर लापरवाही है। आराेपित की पत्नी अमरिका बाई ने कलेक्टर को आज गुरूवार काे लिखित शिकायत दी है। उसने कलेक्टर काे बताया है कि, अंबिकापुर जेल में कुछ अधिकारी और प्रहरी उसके पति से पैसों की मांग करते थे। पैसे नहीं देने पर जातिगत अपशब्द और मारपीट तक की जाती थी। पत्नी के अनुसार, वह अब तक 70 से 80 हजार रुपये अधिकारियों को अलग-अलग माध्यमों से दे चुकी है।मिली जानकारी अनुसार, कैदी ने मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में आत्मसमर्पण किया था, लेकिन सिविल लाइन पुलिस ने उसे जेल में दाखिल करने के बाद फिर से थाने भेज दिया। रातभर इधर-उधर भटकने के बाद बुधवार सुबह जब अंबिकापुर पुलिस उसे दोबारा जेल ले जाने पहुंची, तो डर के मारे उसने सैनेटाइजर पी लिया। फिलहाल कैदी को सिम्स में भर्ती कराया गया है, जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत खतरे से बाहर बताई है।लापरवाही की इंतिहा: आत्मसमर्पण करने के बाद भी थाने ने रखने से किया इनकारमामला मस्तूरी क्षेत्र के मल्हार निवासी मुकेश कांत का है, जिसे हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा मिली है। इलाज के दौरान वह 5 अक्टूबर को अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल से जेल प्रहरियों को चकमा देकर फरार हो गया था। दो दिन बाद 7 अक्टूबर को उसने बिलासपुर पहुंचकर कलेक्टर के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। कलेक्टर के निर्देश पर सिविल लाइन पुलिस ने उसे जेल भेजा, लेकिन वहां पुराने फरारी प्रकरण और मणिपुर थाने की एफआईआर सामने आने के बाद जेल प्रशासन ने पुलिस को बुलाया मगर पुलिस नहीं पहुंची रात होने पर जेल ने कैदी को फिर थाने भेज दिया। जेल प्रहरी उसे थाने में छोड़कर लौट गए, लेकिन पुलिस ने यह कहकर थाने में रखने से मना कर दिया कि कैदी जेल में दाखिल दिखाया जा चुका है। कैदी देर रात तक थाने के बाहर बैठा रहा। अंततः टीआई ने उसकी पत्नी अमरिका बाई को फोन कर थाने बुलाया और कहा “उसे घर ले जाइए।”पत्नी का आरोप: पैसे नहीं दिए तो जेल में जातिगत गालियां दी जाती थींकैदी की पत्नी अमरिका बाई ने कलेक्टर को आज गुरूवार काे लिखित शिकायत दी है। उनका कहना है कि, अंबिकापुर जेल में कुछ अधिकारी और प्रहरी उसके पति से पैसों की मांग करते थे। पैसे नहीं देने पर जातिगत अपशब्द और मारपीट तक की जाती थी। पत्नी के अनुसार, वह अब तक 70 से 80 हजार रुपये अधिकारियों को अलग-अलग माध्यमों से दे चुकी है। उसने आरोप लगाया कि “पैसे देने के बाद भी प्रताड़ना नहीं रुकी, इसलिए मेरे पति ने डर के कारण भागने और सुसाइड की कोशिश की।”1.20 लाख रुपये ट्रांसफर के सबूत भी सौंपेशिकायत में अमरिका बाई ने कुछ नाम और ट्रांजैक्शन डिटेल्स भी लिखे हैं। जिसमें शंकर तिवारी काे 5 हजार रूपये, अभिषेक शर्मा काे 10 हजार रूपये, लोकेश टोप्पो काे 30 हजार रूपये, विजय बहादुर व उनके बेटे को 21 हजार रूपये, मनोज सिंह काे 10 हजार रूपये, निलेश केरकेट्टा काे 12 हजार रूपये, चंद्रप्रकाश लहरे काे 12 हजार रूपये समेत कुल एक लाख रूपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर किए जाने का उल्लेख है।सैनेटाइजर पीकर किया आत्महत्या का प्रयासअमरिका बाई के अनुसार, बुधवार सुबह वह अपने पति को मल्हार के डिडेंश्वरी मंदिर दर्शन कराने ले गई थी। घर लौटने के बाद जब अंबिकापुर पुलिस के आने की खबर मिली, तो मुकेश डर गया। उसने घर के पीछे जाकर सैनेटाइजर पी लिया और साइक्लोफीना टैबलेट निगल ली। डॉक्टरों ने बताया कि, दोनों केमिकल के असर से उसकी तबीयत बिगड़ गई थी, फिलहाल हालत स्थिर है। पुलिस अब उसकी मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद उसे फिर अंबिकापुर जेल भेजने की तैयारी कर रही है।एसएसपी बोले : कैदी को छोड़े जाने की जांच होगीइस पूरे घटनाक्रम पर बिलासपुर एसएसपी ने कहा कि, “कैदी को सिविल लाइन पुलिस द्वारा जेल में दाखिल किया गया था। उसके बाद जेल स्टाफ ने उसे थाने में छोड़ दिया। किन परिस्थितियों में छोड़ा गया, इसकी जांच कराई जा रही है। कैदी की हालत अब ठीक है।” अंबिकापुर जेल से शुरू होकर बिलासपुर पुलिस की लापरवाही तक फैली यह पूरी कहानी सिर्फ एक कैदी की गलती नहीं, बल्कि सिस्टम की सुस्ती, संवेदनहीनता और जवाबदेही के अभाव की कहानी है। एक कैदी जिसने कानून का पालन करते हुए आत्मसमर्पण किया, वही कैदी सरकारी लापरवाही का शिकार बन गया। अगर पुलिस-प्रशासन ने जिम्मेदारी से काम किया होता, तो न तो एक जीवन संकट में पड़ता और न ही जेल तंत्र की पोल इस तरह खुलती। यह मामला सिर्फ जांच का विषय नहीं है। यह चेतावनी है कि मानवता और व्यवस्था के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है, और इसे पाटना अब प्रशासन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
आत्मसमर्पण के बाद लापरवाही की हद, गलती से कैदी ने पी लिया सैनेटाइजर
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