डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में दूसरे टर्म में सबको हिला रखा है। रोज कोई न कोई नया फैसला या नई धमकी। रूस को 50 दिन में युक्रेन के साथ युद्ध खत्म न करने पर सेकंडरी टैरिफ लगाने की धमकी दी है यानी जो देश रूस के साथ कारोबार करते रहेंगे उन पर अमेरिका 100% टैरिफ लगा देगा। भारत अभी रूस से अपनी ज़रूरत का 35-40% कच्चा तेल खरीदता है। ट्रंप की धमकी के कारण यह रुक गया तो पेट्रोल डीज़ल 8-12 रुपये प्रति लीटर महंगा हो सकता है। राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रंप दुनिया भर में लड़ाई रुकवाने में लगे हैं। फिर भी यूक्रेन और रूस की लड़ाई रोकने में कामयाबी नहीं मिली है। पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति का व्हाइट हाउस में अपमान किया, मदद रोक दी लेकिन जल्द समझ में आ गया कि झगड़े की जड़ रूस है।
डेडलाइन 2 सितंबर को खत्म होगी। रूस ने ट्रंप की धमकी पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी और उसे गंभीरता से नहीं लिया है। रूस ने 2022 में यूक्रेन पर हमला बोला था तो अमेरिका और यरोप के देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। उन्हें लगा था कि रूस दबाव में आ जाएगा। इससे उलट रूस ने भारत और चीन जैसे देशों के साथ कारोबार बढ़ा दिया। भारत 2022 से पहले 100 में से 2 बैरल कच्चा तेल रूस से खरीदता था। अब वह हिस्सा बढ़कर 35-40 बैरल तक पहुंच गया है। भारत को शुरुआती दिनों में तो रूस का तेल बाकी देशों के मुकाबले 10-12 डॉलर प्रति बैरल सस्ता पड़ता था। अब यह अंतर 3-4 डॉलर पर आ गया है। रूस से सस्ता तेल मिलने के कारण ही युद्ध का बुरा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ा। महंगाई काबू में रही।
यूरोपीय संघ (ईयू) ने रूस के खिलाफ अपने 18वें दौर के प्रतिबंधों की घोषणा की है। इसमें गुजरात की वडीनार तेल रिफाइनरी को पहली बार निशाना बनाया गया है। यह रिफाइनरी नायरा एनर्जी लिमिटेड द्वारा ऑपरेट होती है जिसमें रूसी सरकार के स्वामित्व वाली तेल कंपनी रोसनेफ्ट की 49. 13% हिस्सेदारी है। ईयू ने इस प्रतिबंध पैकेज को रूस के खिलाफ अब तक का सबसे मजबूत कदम बताया है।
भारत 35-40 देशों से कच्चा तेल खरीदता है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि अमेरिका ने सेकंडरी टैरिफ लगा दिया तो कच्चे तेल के दाम 140 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकते हैं। उनका कहना है कि रूस दुनिया की जरूरत का 10% उत्पादन करता है। यह तेल बाज़ार में नहीं आएगा तो दाम बढ़ जाएंगे। भारत नहीं चाहेगा कि रूस से सस्ते तेल के चक्कर में अमेरिका से पंगा ले। वह दूसरे देशों से ही तेल खरीदना चाहेगा। अनुमान है कि रूस से भारत को कच्चा तेल मिलना बंद हो जाए और कच्चे तेल का दाम 140 डॉलर प्रति बैरल हो जाए तो पेट्रोल-डीजल की क्रीमतें प्रति लीटर 8-12 रुपये तक बढ़ सकती हैं। कुल मिलाकर अभी तो अमेरिका की ट्रेड डील फंसी हुई थी। अब यह नया सिरदर्द आ गया है।