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51 सेकंड के Drone Video में देखिए आग की भट्टी बने Nepal को; एक एक कर नदी में फेंके गए नेता

नेपाल अपने इतिहास के सबसे गंभीर और अशांत दौर से गुजर रहा है। बुधवार को भी नेपाल की सड़कों पर हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ का सिलसिला जारी रहा। राजधानी काठमांडू समेत देश के कई हिस्सों में सेना तैनात है, लेकिन इसके बावजूद प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा। मंगलवार की रात से सुरक्षा बलों ने सड़कों पर नियंत्रण बनाए रखा है, फिर भी आम जनता का प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुका है।

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सहित पूरी सरकार के इस्तीफे के बावजूद भी जनता का आक्रोश कम नहीं हुआ है। वहीं, सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो और तस्वीरों में दावा किया जा रहा है कि प्रदर्शनकारी कम्युनिस्ट नेताओं को पकड़कर कम्युनिस्ट नेताओं को पकड़कर नदी में फेंक दिया। हालांकि इस दावे की सत्यता की पुष्टि अभी नहीं हुई है, लेकिन एक ड्रोन से लिए गए फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि देश के विभिन्न हिस्सों में आंदोलन की आग फैल चुकी है। सड़कें जली हुई गाड़ियों और धुआं उठते बाजारों से भर चुकी हैं, और आम जनता भय के माहौल में घिरी हुई है।

कर्फ्यू की घोषणा

हिंसा की गंभीरता को देखते हुए नेपाली सेना ने बुधवार को पूरे देश में कर्फ्यू लगाने की घोषणा की है। सेना के अनुसार, पहले शाम 5 बजे तक निषेधाज्ञा जारी रहेगी और उसके बाद गुरुवार सुबह 6 बजे तक देशव्यापी कर्फ्यू लागू होगा। यह कदम जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।

नेपाल के सेना का बयान

नेपाल की सेना ने कहा है कि कुछ अशांत समूहों ने प्रदर्शन में घुसपैठ की और तोड़फोड़, आगजनी, लूटपाट, व्यक्तियों व संपत्ति पर हमले और यौन उत्पीड़न जैसी घटनाओं की कोशिश की। इसके चलते शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए कर्फ्यू लागू किया गया है। सेना ने जनता से अपील की है कि वे इस दौरान सुरक्षा बनाए रखने और आपराधिक गतिविधियों को रोकने में सहयोग करें। कर्फ्यू के समय आवश्यक सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, शव वाहन, दमकल गाड़ियां, स्वास्थ्यकर्मी और सुरक्षा बलों के वाहनों को अनुमति रहेगी। सेवा प्रदाताओं से अनुरोध किया गया है कि वे स्थानीय सुरक्षा अधिकारियों के साथ समन्वय बनाए रखें।

सेना ने चेतावनी दी है कि तोड़फोड़, लूटपाट, आगजनी या किसी भी तरह के हिंसक प्रदर्शन को अपराध माना जाएगा और सुरक्षा बल इसे रोकेंगे। साथ ही आम जनता, पत्रकारों, सरकारी कर्मचारियों और सेवानिवृत्त सैनिकों से कहा गया है कि अफवाहों पर विश्वास न करें और केवल आधिकारिक जानकारी पर भरोसा रखें।

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